Saturday, June 21, 2014

दहशतगरों के हाथ में इस्लाम

हाँ भई, सब कुछ तो अमेरिका ही करवाता है. तेल के कुओं पर उसकी बुरी नज़र है ये सब को पता है. दुनियाभर के संसाधनों पर वो कब्ज़ा करना चाहता है ये भी कबूल. इसके लिए वो दुनियाभर में अस्थिरता चाहता है ये भी मान लिया. मान लिया कि हथियार भी वो ही मुहैया कराता है ताकि कत्लो-गारत के सिलसिले में खलल न पड़े.
लेकिन सच सच बताना लम्बी दाढ़ी वाले अंकल, अपने ही भाइयों का खून बहाने लायक जहर भी आपकी रगों में अमेरिका ने ही भरा है ? या ये आपका अपना कारनामा है ? बच्चों के सरों में गोलियां दागते हो, मजलूम मजदूरों को अगवा कर लेते हो, अपने ही देशवासियों के खून से सड़कें लाल कर देते हो और फिर दोष किसी और को देते हो....? माना कि अमेरिका हथियार देता है लेकिन ट्रिगर तो तुम ही दबाते हो. अपने ही भाइयों के खून के प्यासे तुम ही हो. तुम ही हो वो वहशी दरिन्दे जिन्होंने ऐसे हालात पैदा किये कि अब हर मजहबी इंसान से डर लगने लगा है.
खून के प्यासे भेडियों, तुम्हारा नाश हो....!!!!
क्या गलत कहते थे निदा फाजली ??
"उठ उठ के मस्जिदों से नमाजी चले गए,
दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया."

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