Monday, April 7, 2014

मैनिफेस्टो - दी घोषणापत्र.

~~~~~~~~मैनिफेस्टो - दी घोषणापत्र.~~~~~~~~

चुनावी मौसम की गहमागहमी देखते हुए और घोषणापत्रों की अहमियत से अचंभित होते हुए मन में ख़याल आया कि क्यूँ न एक आध छोटा मोटा घोषणापत्र हम भी जारी कर दे. इस फेसबूकी दुनिया में हमसे जुड़े हुए या जुड़ने वाले लोगों को हमारी वाल के अदब-आदाब समझने में मदद होगी इससे. तो साहेबान, पेश है सेमी-क्रांतिकारी घोषणापत्र के प्रमुख बिन्दू :-

1) हम वादा करते है कि हमारी वाल पर हर एक शख्स को बोलने की आजादी का मौलिक अधिकार प्राप्त होगा. हर एक की बात सुनी जायेगी. धर्म, जाति, लिंग, विचारधारा आदि आदि का भेदभाव किये बगैर. हाँ, सभ्य भाषा का आग्रह हमेशा रहता आया है और आगे भी रहेगा.

2 ) हम इस बात का आपको आश्वासन देते है कि हमारी हरचंद ये कोशिश रहेगी कि मतभेद होने के बावजूद मनभेद न होने पाये. तर्क का उत्तर तर्क से देने की पूरी कोशिश की जायेगी. कुतर्क पर खामोशी इख्तियार कर ली जायेगी. (कृपया कुतर्की मित्रगण ख़ास तवज्जो दे.)

3 ) हम इस बात के प्रति आपको आश्वस्त करना चाहते है कि हमारी वाल पर आपको कभी भी ऐसी सामग्री नहीं मिलेगी जिससे किसी भी तरह हमारे मुल्क की अखंडता पर हर्फ़ आये. सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा उत्पन्न हो ऐसी कोई भी हरकत ना करने का हम आपको वचन देते हैं. हाँ, छद्म राष्ट्रवाद के नारे लगाना हमारे लिए थोडा मुश्किल है लेकिन उसके लिए हमें माफ़ ही कर दिया जाए.

4 ) हम इस घोषणापत्र के माध्यम से आपको ये बताना चाहते हैं कि हमारी दीवार पर मौजूद सभी तरह की सामग्री ( ग़जलें, लेख, कवितायें, व्यंग के प्रयास आदि आदि ) किसी भी तरह के कॉपीराइट एक्ट के दायरे से बाहर है. 'जो मेरा है वो तेरा है' की तर्ज पर यहाँ मौजूद सब कुछ आपका और मेरा साझा है. आप इसे बिना किसी इजाजत के झंझट में पड़े बेख़ौफ़ होकर शेयर कर सकते है. यहाँ तक की कॉपी कर के अपने नाम से भी छाप सकते हैं. कोई शिकायत चुनाव आयोग से ( जुकरबर्गवा से ) नहीं की जायेगी. अपने टूटे-फूटे लिखे पर कुंडली मार के बैठने की ही मंशा होती हमारी, तो यहाँ फेसबुक पर थोड़े ही लिखते ! डायरी काली न करते ?

5 ) हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि इतने अच्छे और सच्चे मित्रों का बेशुमार प्यार पाने के बावजूद खुद को अहंकार से मुक्त रखने की भरसक कोशिश करेंगे. हम में दंभ की जरा सी भी झलक दिखाई देने पर हमें जाहिर सभा में सवाल पूछने का ( और जलील करने का भी ) हक हम आप सबको सहर्ष प्रदान करते हैं. इसे इस्तेमाल करने से चूकिएगा नहीं.

6 ) हम आपको बताना चाहते हैं कि एक जिद के तहत हमने अपने आप से एक वादा किया हुआ है कि कभी किसी को ब्लाक नहीं करेंगे. किसी से घनघोर असहमति हो जाने पर और भाषा की मर्यादा का किसी मित्र द्वारा बार बार उल्लंघन किये जाने पर हम सिर्फ उसे अन्फ्रेंड करेंगे, ब्लाक नहीं. किसी को ब्लाक करना हमें डिजिटल हत्या के समान प्रतीत होता है जो हमारे गांधीवादी विचारों से मेल नहीं खाता. हम सगर्व घोषित करते हैं कि हमने आज तक अपने फेसबूकी जीवन में किसी को भी ब्लाक नहीं किया. और आगे भी ना करने के लिए दृढप्रतिज्ञ है. ( कुछ लोगों ने हमें किया वो अलग बात है.) हाँ कुछ एक मित्रों को बहुत बेमन से अन्फ्रेंड जरुर किया है लेकिन वो सिर्फ तीन-चार होंगे. आगे भी हम अपनी इस आदत को बनाए रखने की कोशिश करेंगे.

7 ) हमें फेसबुक नामक इस मंच की पहुँच और अहमियत का पूरा पूरा अंदाजा है. इसके माध्यम से हम मुहब्बत के, भाईचारे के संदेस को खूब फैलाने में मदद करने का भरपूर आश्वासन देते हैं. नफरतों के बीज बोती घटिया राजनीति को और धार्मिक विद्वेष का जहर फैलाते असामाजिक तत्वों की नापाक साजिश को दरकिनार करते हुए मुहब्बत के फूल बांटने का हम अहद लेते हैं. जहाँ तक हो सके हमारी दिलोजान से कोशिश रहेगी कि हमारी दीवार तक आ पहुंचा शख्स प्यार और अपनेपन की सौगात लेकर लौटे. गंगा-जमुनी सभ्यता के पक्षधर हमारे मुल्क में अमन, शांति और भाईचारा बरकरार रखने के लिए जो हो सके वो सब कुछ पूरे समर्पण भाव से करने का हम सच्चा वादा करते हैं.

तो दोस्तों, कृपया लाइक के सामने का बटन दबाकर इस घोषणापत्र को अपना पूरा समर्थन दें. और इसे कार्यान्वित करने में हमारी सक्रीय मदद कर मेरी और अपनी खुद की जीत सुनिश्चित करें.

स्पेशल नोट :- घोषणापत्र पर खरा ना उतरने की सूरत में आप लोग 'राईट टू रिजेक्ट' की तर्ज पर 'ब्लाक दी लायर' नामक आप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

जय हिन्द !! वन्दे मातरम !!

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