Sunday, April 27, 2014

मुहब्बत छोड़ दी हमने

अभी जो तुम लौट कर
फिर हमारे दर पे आये हो
ये तुमसे कह दिया किसने
के तुम बिन रह नहीं सकते
ये दुःख हम सह नहीं सकते
कहा तुमसे किसने के...
हम तुम बिन बहुत रोये
कई रातों को न सोये...

सुनो.......!!!!
तुम सुन लो गौर से...
अगर बीते हुए लम्हों को
तुमने वापिस लाना है
अपनी ज़िन्दगी में हमें
फिर वापिस बुलाना है
मुझे अफ़सोस है जानां
के तुम मायूस लौटोगे
अगर तुम जानना चाहो
के ऐसा क्यूँ किया हमने
ये ग़म क्यूँ सह लिया हमने
तो सुनो.....
गौर से सुनो.....
पुरानी अहद-ओ-वफ़ा की
रिवायत तोड़ दी हमने
मुहब्बत छोड़ ही हमने
मुहब्बत छोड़ दी हमने...!!!

------------- अज्ञात.

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