Tuesday, December 10, 2013

जरा सी देर को आये थे ख्वाब आँखों में

जरा सी देर को आये थे ख्वाब आँखों में 
फिर उसके बाद मुसलसल अजाब आँखों में
वो जिसकी निसबत से रौशन था सारा वजूद,
खटक रहा है वही आफताब आँखों में...

--------- अज्ञात.

2 comments:

  1. ब्लॉग वर्ल्ड में आपका स्वागत है ज़ारा जी

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  2. वाह ! कहने और सुनने की इंतहा है ये शेर !!!

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