Thursday, May 30, 2013

मेरा नाम है मुहब्बत मेरा नाम याद रखना

जहां आज हम मिले हैं ये मकाम याद रखना
मेरा नाम है मुहब्बत मेरा नाम याद रखना

----- सलमा आगा की रूहानी आवाज़ में

http://www.youtube.com/watch?v=YZZ3Hil53zE

Sunday, May 26, 2013

मैं हवा हूं कहां वतन मेरा

""अब कहां हूं कहां नहीं हूं मैं
जिस जगह हूं वहां नहीं हूं मैं
कौन आवाज़ दे रहा हैं मुझे,
कोई कह दे के यहां नहीं हूँ मैं""


मैं हवा हूं कहां वतन मेरा...
दश्त मेरा ना ये चमन मेरा...

मैं के हर चंद एक खानानशीं
अंजुमन अंजुमन सुखन मेरा...

बर्ग-ए-गुल पर चराग सा क्या हैं
छू गया था उसे दहन मेरा...

"मैं के टूटा हुआ सितारा हूं
क्या बिगड़ेगी अंजुमन मेरा..."

हर घडी इक नया तकाजा हैं
दर्दे सर बन गया बदन मेरा...


https://www.youtube.com/watch?v=4ybaf6qgOaA

Friday, May 24, 2013

दर्द का हद से गुजरना हैं दवा हो जाना

इशरत-ए-कतरा हैं दरिया में फना हो जाना
दर्द का हद से गुजरना हैं दवा हो जाना

--------------- मिर्ज़ा असदुल्ला खां ग़ालिब.

Thursday, May 16, 2013

अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है

अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है,
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है....

कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की,
खुद को पसे–आईना रखना कितना मुश्किल है...

तुमने मन्दिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है,
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है....

चुल्लु में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ,
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है....


http://www.youtube.com/watch?v=YNGmpg2Wx9o

कोई पत्ता हिले हवा तो चले

कोई पत्ता हिले हवा तो चले
कौन अपना है ये पता तो चले

तू सितम से न खींच हाथ अभी
और कुछ दिन ये सिलसिला तो चले

मंजिले खुद करीब आयेंगी
ए अजिजानो काफ़िला तो चले

शहर हो गाव हो या हो घर अपना
आबोदाना ही उठ गया तो चले

हर किसी से मिला करो के जफ़र
कौन कैसा है कुछ पता तो चले


http://www.youtube.com/watch?v=rEiNs8164SE

Wednesday, May 15, 2013

ये तय हुआ था

मुहब्बतों में हर एक लम्हा विसाल होगा ये तय हुआ था
बिछड़के भी एक दूसरे का ख़याल होगा ये तय हुआ था

जुदा जो हुए तो क्या हुआ फिर, के यही दस्तूरे ज़िन्दगी है
जुदाइयों में ना कुर्बतों का मलाल होगा ये तय हुआ था

ये क्या के साँसे उखड रही है, सफ़र के आगाज़ में ही यारा
कोई भी थक के ना रास्तों में निढाल होगा ये तय हुआ था

वही हुआ ना बदलते मौसम में तुमने खुद को ज़ख्म दिए
कोई भी रुत हो ना चाहतों का जवाल होगा ये तय हुआ था

चलो के अब कश्तियां जला दे, इन गुमनाम साहिलों पर
के अब यहाँ से ना वापसी का सवाल होगा ये तय हुआ था.

उस मोड़ से पहले ही चलो राह बदल ले

उस मोड़ से पहले ही चलो राह बदल ले
जिस मोड़ के आने पे बिछड़ जाने का डर हैं.

Monday, May 13, 2013

बहुत आसान है कमरे में वन्दे मातरम कहना

किसी का क़द बढ़ा देना किसी के क़द को कम कहना
हमें आता नहीं ना-मोहतरम को मोहतरम कहना
चलो मिलते हैं मिल-जुल कर वतन पर जान देते हैं
बहुत आसान है कमरे में वन्दे मातरम कहना

----------------- मुनव्वर राणा.

Thursday, May 9, 2013

चले जो हो तो बता के जाओ

चले जो हो तो बता के जाओ,
---------------के कितनी शामे उदास आँखों में काटनी हैं
---------------के कितनी सुबहे अकेलेपन में गुजारनी है
बता के जाओ,
---------------के कितने सूरज अज़ाब रास्तों को देखना हैं
---------------के कितने महताब सर्द रातों की वहशतों से निकालने हैं
बता के जाओ,
---------------के चाँद रातों में वक्त कैसे गुज़ारना हैं
---------------खामोश लम्हे में तुझको कितना पुकारना हैं
बता के जाओ,
---------------के कितने लम्हे शुमार करने हैं हिज्र रातों के
---------------के कितने मौसम एक एक करके जुदाइयों में गुज़ारने हैं
बता के जाओ,
---------------के पंछियों ने अकेलेपन का सबब जो पूछा तो क्या कहूँगी
---------------बता के जाओ के किससे तेरा गिला करुँगी
---------------बिछड़ के तुझसे, किससे फिर मैं मिला करुँगी
बता के जाओ,
---------------के आँख बरसी तो कौन मोती चुना करेगा
---------------उदास लम्हों में दिल की धड़कन सुना करेगा
बता के जाओ,
---------------के मौसमों को पयाम देने हैं या नहीं हैं
---------------फलक को, तारों को, जुगनुओं को सलाम देने हैं या नहीं हैं
बता के जाओ,
---------------के किसपे हैं ऐतबार करना
---------------तो किसकी बातों पे बेनियाज़ी के सिलसिले इख्तियार करने हैं
बता के जाओ,
---------------के अब सितारों की चाल क्या हो
---------------जवाब क्या हो, सवाल क्या हो
---------------उरूज क्या हो, जवाल क्या हो
---------------निगाह, रुखसार, जुल्फ, चेहरा निढाल क्या हो
बता के जाओ,
---------------के मेरी हालत पे चांदनी खिलखिला पड़ी तो मैं क्या कहूँगी..??
बता के जाओ,
---------------के मेरी सूरत पे तीरगी मुस्कुरा पड़ी तो मैं क्या करुँगी...?
बता के जाओ,
---------------के तुमको कितना पुकारना हैं..?
---------------बिछड़के तुमसे ये वक्त कैसे गुजारना हैं...??
---------------उजाड़ना हैं....?
---------------निखारना हैं...?
चले जो हो तो बता के जाओ,
के लौटना भी हैं या..........................????

Wednesday, May 8, 2013

मेरे आंसूओं की कीमत ना चुका सका ज़माना

कभी सब्र की नसीहत, कभी शुक्र का बहाना
मेरे आंसूओं की कीमत ना चुका सका ज़माना..


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पलकों के बंद तोड़ के दामन पे आ गिरा...
एक आंसू मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया...

वो दर्द का मतलब क्या जाने

वो दर्द का मतलब क्या जाने
जो इलज़ाम लगाए सितारों पर
जा उन कश्तियों से पूछ कभी
जो डूब गई किनारों पर
...........

कुछ चुनते हैं पतझड़ की सज़ा
फूलों के उपहारों पर
और देते हैं फिर दिल से दुआ
औरों को बहारों पर
...........

कुछ मरने को तैयार यहाँ
सिर्फ आँखों के इशारों पर
कुछ जी रहे हैं ताकि कोई
रोये ना उनकी मजारों पर

---------- अज्ञात.

आपको सिर्फ अपनी ज़ात का ग़म

आपको सिर्फ अपनी ज़ात का ग़म
मेरे दिल में हैं कायनात का ग़म

बाप को लत शराब पीने की
माँ को बेटी के जेवरात का ग़म

अब बिछड़कर बहुत याद आता हैं
वो खट्टे मीठे ताल्लुकात का ग़म

ग़म तो हर शख्स का मुकद्दर हैं
दिन का ग़म हैं, किसी को रात का ग़म

फिर शहादत का शौक दे वरना
मार डालेगा ये हयात का ग़म

----------------- अज्ञात..

Saturday, May 4, 2013

रास्तों की मर्ज़ी है

बेजमीन लोगों को
बेकरार आँखों को
बदनसीब क़दमों को
जिस तरफ भी ले जाए
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

बेनिशान ज़जीरों पे
बदगुमान शहरों में
बेजुबान मुसाफिर को
जिस तरफ भी भटका दे
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

रोक ले या बढने दे
थाम ले या गिरने दे
वस्ल की लकीरों को
तोड़ दे या मिलने दे
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

अजनबी को लेकर हमसफ़र बना डाले
साथ चलने वालों की राख तक उड़ा डाले
या मुसाफते सारी ख़ाक में मिटा डाले
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

-------------- अज्ञात.

सरबजीत का जवाब सनाउल्लाह

सरबजीत का जवाब सनाउल्लाह..... बहुत उम्दा मिसाल....
हमने कोई चूड़ियाँ थोड़ी पहन रखी हैं....??
पर इसपर तालियाँ पीटने से पहले जरा उस आदमी के शब्दों पर भी गौर कर लिया जाए जिसे हम राष्ट्रपिता कहते हैं.... जो कहता था की आँख के बदले आँख का रिवाज़ सारी दुनिया को अंधा कर देगा....

एक था अजमल कसाब

एक था अजमल कसाब... मुंबई हमले का मुख्य आरोपी.... कैमरे पर गन लहराता देखा गया... बिलकुल ओपन एंड शट केस... 4 साल तक भारत का दामाद बनकर रहा... उसकी सुरक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए...फेयर ट्रायल हुआ... और आखिर में अपनी वहशतनाक करतूत की सज़ा पा गया....

एक था सरबजीत सिंह.... 23 साल पहले गलती से बॉर्डर पार कर गया... पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ा... उन्होंने उसकी पहचान बदल कर उसे आतंकवादी घोषित कर दिया... मुकदमा चला.... फांसी की सज़ा हुई... खूब शोर मचा... दुनिया भर से फेयर ट्रायल की मांग उठी... मिसटेकन आइडेंटिटी की दुहाई दी गई... पाकिस्तान के लिए सरबजीत गले की फांस बन गया... ना उगलते बना ना निगलते... फिर एक रोज़ उसे बेरहमी से क़त्ल कर दिया गया...

फर्क समझ में आया....???? सैनिकों का सर काट लेने वालों से, ओसामा और दाऊद जैसों को शरण देनेवालों से और हाफ़िज़ सईद जैसों को पालने वालों से आप मानवीयता की उम्मीद नहीं कर सकते.....

Thursday, May 2, 2013

जाने ये लोग मुहब्बत को कहां रखते हैं

अपने सीने में तो नफरत को बहा रखते हैं,
जाने ये लोग मुहब्बत को कहां रखते हैं.....

------------ अज्ञात.